मुंबई. केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले द्वारा टीम इंडिया में दलितों के लिये रिजर्वेशन की मांग से क्रिकेट जगत में उथल-पुथल मच गयी है। टीम में रिज़र्वेशन लागू हो सकता है, यह ख़बर सुनते ही रोहित शर्मा और गौतम गंभीर कल आनन-फानन में दलित बन गये। दोनों खिलाड़ियों ने एक गुप्त कार्यक्रम में पानी हाथ में लेकर दलित बनने की शपथ ले ली। हालांकि, गंभीर ने टीम में सलेक्शन के लिये जाति बदलने की बात से इनकार किया है। गंभीर का कहना है कि “हमने बाबा साहेब अंबेडकर के विचारों से प्रभावित होकर जाति बदली है ना कि टीम में जगह बनाने के लिये!”

इसके उलट, रोहित का कहना है कि “अगर कल को टीम में रिज़र्वेशन लागू हो गया तो कम से कम 3-4 खिलाड़ी तो उन्हें लेने ही पड़ेंगे टीम में!” अपने टेलेंट के लिये कुख्यात रहे रोहित ने बाजू चढ़ाते हुए कहा- “अगर बंदा दलित हो और टेलेंट भी हो, फिर तो किसी का बाप नहीं निकाल सकता उसे टीम से!”
वैसे, ऐसा क़दम उठाने वाले रोहित और गंभीर अकेले नहीं हैं, उनके अलावा और भी कई खिलाड़ी अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिये जाति बदलने पर विचार कर रहे हैं। पठान बंधु भी इस लाइन में हैं लेकिन मुस्लिम होने की वजह से उनका जाति बदलना आसान दिखायी नहीं दे रहा है।
इस बीच, आठवले ने आशंका जतायी है कि बीसीसीआई वाले दलित प्लेयर को 12वाँ खिलाड़ी बनाकर पानी पिलाने के काम पर लगा सकते हैं या हो सकता है कि उससे फ़ील्डिंग ही करवाते रहें और उसे बैटिंग ना दें। उनका कहना है कि “इसलिये हमें कुछ पक्के नियम बनाने पड़ेंगे।”
फिर अपने बनाये हुए नियमों की लिस्ट दिखाते हुए उन्होंने कहा कि “रिज़र्वेशन लागू होने पर 2 महीने विकेटकीपर की पोस्ट और उसके अगले दो महीने स्लिप फ़ील्डर की पोस्ट आरक्षित रहेगी। आरक्षित दलित खिलाड़ी को कैच लपकने के ज़्यादा चांस दिये जायेंगे। टी-20 मैच में कम से कम 8 ओवर दलित बॉलर डालेगा और दस में से चार मैचों में उन्हें ओपनिंग का चांस मिलेगा। अगर टीम के खिलाड़ी किसी मैच में 10 कैच लपकते हैं तो दलित खिलाड़ियों को उनमें से कम से कम 4 कैच लपकने देने होंगे। बैटिंग में भी उन्हें दो चांस मिलेंगे।”
“और रिज़र्वेशन लागू होती ही हम आईसीसी पर दबाव डालेंगे कि हमारे दलित प्लेयर्स को स्पिन बॉल डाली जाये। अगर फ़ास्ट बॉल डालनी भी हो तो दो टप्पा वाली डालें।” -आठवले ने कहा। वो ये सब कह ही रहे थे कि तभी उनके समर्थकों ने नारे लगाने शुरु कर दिये- “बीसीसीआई प्रेसिडेंट कैसा हो, आठवले भैय्या जैसा हो!” आरपीआई के नेताओं का कहना है कि “इस टाइम प्रेसिडेंट की पोस्ट खाली भी पड़ी है और आज तक कोई दलित बीसीसीआई का प्रेसिडेंट भी नहीं बना है। तो ये एकदम सही टाइम है।”