नयी दिल्ली. जेएनयू के छात्रों ने दिल्ली पुलिस के लाठीचार्ज से बचने के लिए आज एक अनूठा तरीक़ा ढूँढ निकाला। प्रदर्शनकारियों में से 10-12 छात्र आज वकीलों के कपड़े पहनकर आ गये। फिर क्या था! सामने ‘वकील’ देखते ही दिल्ली पुलिस भाग खड़ी हुई।

हड़बड़ी में बेचारे अपनी लाठी और वॉटर कैनन भी वहीं छोड़ गये और “कमिश्नर साब बचाओ…कमिश्नर साब बचाओ!” चिल्लाते हुए थाने में घुस गये और दरवाज़ा अंदर से बद कर लिया। वो तो बाद में पूरी बटालियन लेकर कमिश्नर साब ख़ुद पहुँचे और दरवाज़ा खुलवाया। लेकिन कुछ पुलिसवाले इतना डर गये हैं कि वे काला कोट देखते ही बेहोश हो रहे हैं।
दुबककर कोने में छुपे बैठे हवलदार सतबीर को कमिश्नर साब समझा रहे हैं- “डरो मत! वे वकील नहीं, स्टूडेंट थे! जाकर मारो उन्हें!” लेकिन सतबीर के मन से काले कोट का डर निकल नहीं रहा है और वो चिल्लाये जा रहा है- “वकील साब छोड़ दो…वकील साब छोड़ दो!”
उधर, वकील बनकर पुलिस को डराने वाले छात्रों को अपनी इस हरकत पर कोई पछतावा नहीं है। उनका कहना है कि “गुंडे को गुंडा ही डरा सकता है! अगर हम वकील नहीं बनते तो ये पुलिसवाले हमें मारते ही रहते!
वहीं दूसरी ओर, वकीलों ने छात्रों की इस हरकत पर घोर आपत्ति जताई है। कुख्यात वकील के के शर्मा का कहना है कि “अगर कोई भी ऐरा-गैरा हमारा भेस धर के पुलिस को पीटने लगा तो ये ठुल्ले पुलिस वाले तो हमसे डरना ही छोड़ देंगे!”